Wednesday, March 20, 2013

यूँ ना सब से डर के देखो
मुझको आँखें भर के देखो

सच कहता हूँ जी उठ्ठोगी
मुझपे थोडा मर के देखो
 
आना-जाना छुट जाएगा
मेरी बाहें धर के देखो

सादेपन को उम्र पड़ी है
कुछ शैतानी कर के देखो

ऊंचाई पे तन्हाई है
तुम झरने सा झर  के देखो

4 comments:

  1. बहुत अच्छा भाव ,सुन्दर प्रस्तुति ,आप भी मेर ब्लॉग का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
    latest post भक्तों की अभिलाषा
    latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार

    ReplyDelete
  2. सादेपन को उम्र पड़ी है
    कुछ शैतानी कर के देखो |
    .
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  3. Sakhi: This is something different-- gudone

    ऊंचाई पे तन्हाई है
    तुम झरने सा झर के देखो

    ReplyDelete