Thursday, June 13, 2013

इस जहां में अब येही दस्तूर होना चाहिए
सच के हाथों  झूठ को मजबूर होना चाहिए

तू जिसे मिल जाए उसकी पारसाई क़ुफ़्र है
उसको चाहत के नशे में चूर होना चाहिए

पास इतने हो की घुलते जा रहे हो मुझमें तुम
हम को इक-दूजे से थोडा दूर होना चाहिए

जिसने दिल में पाल रखा हो मुहब्बत का चिराग़
उसके चेहरे पे बला का नूर होना चाहिए

झुक के चलने में यहाँ दब जाने के आसार हैं
एहतियातन आपको मग़रूर होना चाहिए





Friday, June 7, 2013

तेरी आँखें मुझे बहका रहीं हैं
मुहब्बत करने को उकसा रहीं हैं

उजाला ख़ुद अंधेरों का है ख़ालिक़
मुझे परछाईयाँ बतला रहीं हैं

मुझे देखा जो महफ़िल में तभी से
मेरी तन्हाइयां पछता रहीं हैं

यही मौक़ा है आओ ख़्वाब देखें
अभी नींदें ज़रा सुस्ता रहीं हैं