Wednesday, March 28, 2012

मेरे घर की रौनक किसको याद नहीं है!!

उसके होते थी जो उसके बाद नहीं है
मेरे घर की रौनक किसको याद नहीं है!!

मुझको क़ैद में डालो जाने क्या कर बैठूं
पिंजरा टूट गया है और सय्याद नहीं है

उसकी अलमारी में इक तस्वीर मिली है
तुम कहते थे उसको कुछ भी याद नहीं है

मैं क्या चाहूं वह मुझसे बेहतर जाने है
मेरी कोई अर्ज़ी या फ़रियाद नहीं है

उसकी राहें तकते अरसा बीत गया है
क्यों तकता हूँ अब ये मुझको याद नहीं है




Wednesday, March 21, 2012

निगोड़ी अखियाँ

मेरे जिया की, मेरे पिया को, बतावें सारी, निगोड़ी अखियाँ
वो पूछ लेते,  हैं इनसे मोरी, सो रास्ते पे, हैं छोड़ी अखियाँ

वो कह गए थे, वो आ मिलेंगे, मैं बांवरी ही भटक गयी थी
मुझे जो मेले, में  मस्त देखा, उन्होंने मो से, हैं मोड़ी अखियाँ

बरसती आँखें, ज्यों सीप मोती, है शर्त इतनी, हो प्रीत गूढ़ी
सखी मिलें जो, पिया तो कहना, हुई हमारी, करोड़ी अखियाँ

मेरी हवस का, इलाज दुनिया, मगर ये दुनिया, है मर्ज़ भारी
वो मिल गए तो, बेमानी दुनिया, सो उनसे आखिर, में जोड़ी अखियाँ