Wednesday, March 21, 2012

निगोड़ी अखियाँ

मेरे जिया की, मेरे पिया को, बतावें सारी, निगोड़ी अखियाँ
वो पूछ लेते,  हैं इनसे मोरी, सो रास्ते पे, हैं छोड़ी अखियाँ

वो कह गए थे, वो आ मिलेंगे, मैं बांवरी ही भटक गयी थी
मुझे जो मेले, में  मस्त देखा, उन्होंने मो से, हैं मोड़ी अखियाँ

बरसती आँखें, ज्यों सीप मोती, है शर्त इतनी, हो प्रीत गूढ़ी
सखी मिलें जो, पिया तो कहना, हुई हमारी, करोड़ी अखियाँ

मेरी हवस का, इलाज दुनिया, मगर ये दुनिया, है मर्ज़ भारी
वो मिल गए तो, बेमानी दुनिया, सो उनसे आखिर, में जोड़ी अखियाँ

2 comments:





  1. मेरे जिया की, मेरे पिया को, बतावें सारी, निगोड़ी अखियाँ
    वो पूछ लेते, हैं इनसे मोरी, सो रास्ते पे, हैं छोड़ी अखियाँ

    वो कह गए थे, वो आ मिलेंगे, मैं बांवरी ही भटक गयी थी
    मुझे जो मेले, में मस्त देखा, उन्होंने मो से, हैं मोड़ी अखियाँ

    बरसती आँखें, ज्यों सीप मोती, है शर्त इतनी, हो प्रीत गूढ़ी
    सखी मिलें जो, पिया तो कहना, हुई हमारी, करोड़ी अखियाँ

    मेरी हवस का, इलाज दुनिया, मगर ये दुनिया, है मर्ज़ भारी
    वो मिल गए तो, बेमानी दुनिया, सो उनसे आखिर, में जोड़ी अखियाँ

    क्या बात है ...
    वाह वाह !
    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है
    मुबारकबाद !

    प्रिय बंधुवर विशाल जी
    बहुत शानदार लिखा है !

    पूरी ग़ज़ल कोट करने के सिवा मन नहीं मान रहा ...
    :)


    ~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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    1. Aadarniya Rajendra Ji
      HAusla badhaane ke liye bohot shukriya.. Maine darte darte yeh ghazal post ki thi ki jane kisi kaam ki hai bhi ya nahi. Aapke ashirwachanon ka dhanyawad!!
      Vishal

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