मेरी मुश्किल करे आसान कोई
मुझे आकर करे हैरान कोई
ज़वाल ऐसा कि तुमको क्या बताएं
फ़रिश्ता हो गया इंसान कोई
निखरता जा रहा था रंग उसका
छिडकता जा रहा था जान कोई
मुझे दुनिया से यूँ आज़ाद करना
न बाक़ी छोड़ना पहचान कोई
अजी कुछ रोज़ के हैं चोचले फिर
हमें छोड़ आएगा शमशान कोई
बुरे हो तुम कि चाहत में तुम्हारी
मेरा निकला नहीं अरमान कोई
भुला देने की उसको ठान ली है
किया है काम कब आसान कोई
मुझे आकर करे हैरान कोई
ज़वाल ऐसा कि तुमको क्या बताएं
फ़रिश्ता हो गया इंसान कोई
निखरता जा रहा था रंग उसका
छिडकता जा रहा था जान कोई
मुझे दुनिया से यूँ आज़ाद करना
न बाक़ी छोड़ना पहचान कोई
अजी कुछ रोज़ के हैं चोचले फिर
हमें छोड़ आएगा शमशान कोई
बुरे हो तुम कि चाहत में तुम्हारी
मेरा निकला नहीं अरमान कोई
भुला देने की उसको ठान ली है
किया है काम कब आसान कोई
Excellent post. Keep posting such kind of info on your blog.
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