रहमत की बरसात नही है
मां अब मेरे साथ नहीं है
तेज़ हवा की ज़द में होना
शह बेशक़ हो मात नहीं है
गाँव में तारे गिन लेते थे
शहर में दिन है रात नहीं है
बीवी, बच्चे, अम्मी, अब्बू
मेरे बस की बात नहीं है
पतझड़ में भी साथ रहेगी
डाल है मेरी पात नहीं है
प्यास मेरी की रीस करेगा
साग़र की औक़ात नहीं है
Shayar se insaan hoon achha
kya ye koi बात नहीं है!!
गाँव में तारे गिन लेते थे
ReplyDeleteशहर में दिन है रात नहीं है
क्या खूब लिखा है।
ग़ज़ल बहुत पसंद आई।
रहमत की बरसात नही है
ReplyDeleteमां अब मेरे साथ नहीं है |
वाह , गागर में सागर
अद्भुत |