Wednesday, March 28, 2012

मेरे घर की रौनक किसको याद नहीं है!!

उसके होते थी जो उसके बाद नहीं है
मेरे घर की रौनक किसको याद नहीं है!!

मुझको क़ैद में डालो जाने क्या कर बैठूं
पिंजरा टूट गया है और सय्याद नहीं है

उसकी अलमारी में इक तस्वीर मिली है
तुम कहते थे उसको कुछ भी याद नहीं है

मैं क्या चाहूं वह मुझसे बेहतर जाने है
मेरी कोई अर्ज़ी या फ़रियाद नहीं है

उसकी राहें तकते अरसा बीत गया है
क्यों तकता हूँ अब ये मुझको याद नहीं है




4 comments:

  1. उसके होते थी जो उसके बाद नहीं है
    मेरे घर की रौनक किसको याद नहीं है!!

    मुझको क़ैद में डालो जाने क्या कर बैठूं
    पिंजरा टूट गया है और सय्याद नहीं है

    उसकी अलमारी में इक तस्वीर मिली है
    तुम कहते थे उसको कुछ भी याद नहीं है

    मैं क्या चाहूं वह मुझसे बेहतर जाने है
    मेरी कोई अर्ज़ी या फ़रियाद नहीं है

    उसकी राहें तकते अरसा बीत गया है
    क्यों तकता हूँ अब ये मुझको याद नहीं है

    bus iski tareef ye khud hi hai... !!! this cud not come out any better !! a perfect piece.

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  2. doosra sher bahut umda or khoobsoorat..

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  3. Ek purana ehsaas yaad aa gaya yeh padkar, jaise apne busy zindagi main ek pal ruk gaya ho. Keep writing, you will go very far.

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    1. Mujhko beeta kal mera pehchaan na paayaa
      Waqt ne meri soorat is had tak badli hai!!
      I am glad that I could made a difference. Keep reading there is more to come!!
      Vishal

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