इस जहां में अब येही दस्तूर होना चाहिए
सच के हाथों झूठ को मजबूर होना चाहिए
तू जिसे मिल जाए उसकी पारसाई क़ुफ़्र है
उसको चाहत के नशे में चूर होना चाहिए
पास इतने हो की घुलते जा रहे हो मुझमें तुम
हम को इक-दूजे से थोडा दूर होना चाहिए
जिसने दिल में पाल रखा हो मुहब्बत का चिराग़
उसके चेहरे पे बला का नूर होना चाहिए
झुक के चलने में यहाँ दब जाने के आसार हैं
एहतियातन आपको मग़रूर होना चाहिए
सच के हाथों झूठ को मजबूर होना चाहिए
तू जिसे मिल जाए उसकी पारसाई क़ुफ़्र है
उसको चाहत के नशे में चूर होना चाहिए
पास इतने हो की घुलते जा रहे हो मुझमें तुम
हम को इक-दूजे से थोडा दूर होना चाहिए
जिसने दिल में पाल रखा हो मुहब्बत का चिराग़
उसके चेहरे पे बला का नूर होना चाहिए
झुक के चलने में यहाँ दब जाने के आसार हैं
एहतियातन आपको मग़रूर होना चाहिए
umdea vishal ji-- badtea rahio is thera
ReplyDeleteLaajawaab gazal ..... Harem sher khud me bejod hai .... USDA gazal ke liye badhai !
ReplyDeleteवाह वाह लाजवाब जानदार ग़ज़ल वाह क्या कहने अति सुन्दर सभी अशआर अपने आप में कामयाब हैं. मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteThankyou for the kind words Arun Sahab. Hope to see you visiting more. Keep Reading.
ReplyDeleteRegards
Vishal