Thursday, June 13, 2013

इस जहां में अब येही दस्तूर होना चाहिए
सच के हाथों  झूठ को मजबूर होना चाहिए

तू जिसे मिल जाए उसकी पारसाई क़ुफ़्र है
उसको चाहत के नशे में चूर होना चाहिए

पास इतने हो की घुलते जा रहे हो मुझमें तुम
हम को इक-दूजे से थोडा दूर होना चाहिए

जिसने दिल में पाल रखा हो मुहब्बत का चिराग़
उसके चेहरे पे बला का नूर होना चाहिए

झुक के चलने में यहाँ दब जाने के आसार हैं
एहतियातन आपको मग़रूर होना चाहिए





4 comments:

  1. umdea vishal ji-- badtea rahio is thera

    ReplyDelete
  2. Laajawaab gazal ..... Harem sher khud me bejod hai .... USDA gazal ke liye badhai !

    ReplyDelete
  3. वाह वाह लाजवाब जानदार ग़ज़ल वाह क्या कहने अति सुन्दर सभी अशआर अपने आप में कामयाब हैं. मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.

    ReplyDelete
  4. Thankyou for the kind words Arun Sahab. Hope to see you visiting more. Keep Reading.
    Regards
    Vishal

    ReplyDelete