यूँ ना सब से डर के देखो
मुझको आँखें भर के देखो
सच कहता हूँ जी उठ्ठोगी
मुझपे थोडा मर के देखो
आना-जाना छुट जाएगा
मेरी बाहें धर के देखो
सादेपन को उम्र पड़ी है
कुछ शैतानी कर के देखो
ऊंचाई पे तन्हाई है
तुम झरने सा झर के देखो
मुझको आँखें भर के देखो
सच कहता हूँ जी उठ्ठोगी
मुझपे थोडा मर के देखो
आना-जाना छुट जाएगा
मेरी बाहें धर के देखो
सादेपन को उम्र पड़ी है
कुछ शैतानी कर के देखो
ऊंचाई पे तन्हाई है
तुम झरने सा झर के देखो
बहुत अच्छा भाव ,सुन्दर प्रस्तुति ,आप भी मेर ब्लॉग का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
सादेपन को उम्र पड़ी है
ReplyDeleteकुछ शैतानी कर के देखो |
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बहुत सुन्दर
सुन्दर ||
ReplyDeleteSakhi: This is something different-- gudone
ReplyDeleteऊंचाई पे तन्हाई है
तुम झरने सा झर के देखो