बीते कल में जीते रहने से ज़िंदा हूँ
मैं तो यादों की बस्ती का बाशिंदा हूँ
मैंने चोरी की थी क्योंकि मैं भूखा था
लेकिन जबसे पेट भरा है शर्मिन्दा हूँ
मेरे ज़रिये रब को पाना नामुमकिन है
मैं तेरा मज़हब हूँ तो उसका धंधा हूँ
दुनिया मेरी बातें दोहराती जाती है
यूँ लगता है जैसे अब भी मैं ज़िंदा हूँ
मुझको सबके अंदर तू ही तू दिखता है
लेकिन सब कहते हैं सावन का अंधा हूँ
मैं तो यादों की बस्ती का बाशिंदा हूँ
मैंने चोरी की थी क्योंकि मैं भूखा था
लेकिन जबसे पेट भरा है शर्मिन्दा हूँ
मेरे ज़रिये रब को पाना नामुमकिन है
मैं तेरा मज़हब हूँ तो उसका धंधा हूँ
दुनिया मेरी बातें दोहराती जाती है
यूँ लगता है जैसे अब भी मैं ज़िंदा हूँ
मुझको सबके अंदर तू ही तू दिखता है
लेकिन सब कहते हैं सावन का अंधा हूँ
Kis kis gazal ki tareef karoon..ek ek gazal nayaab moti jaisi hai. bahut khoobsurat !!
ReplyDeletebohot shukriya Shaily Ji.
DeletePlease keep visiting.
Vishal