Thursday, May 16, 2013

उसको डर भगवान नहीं है
वो जो ख़ुद इंसान नहीं है

मुझ में से वो यूँ निकली है
जैसे मेरी जान नहीं है

सबकी नज़रों से गिर जाना
इतना भी आसान नहीं है

दिल के बदले में दिल दे दे
वो इतना नादान नहीं है

हैरत है  तन्हाई में भी
दिल की गली सुनसान नहीं है

मुझ पर भी इक राज़ खुला है
वो मुझसे अनजान नहीं है

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post हे ! भारत के मातायों
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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  2. सिर्फ आपको पढ़ने ही वापस लौटा हूँ , आपका सबसे बड़ा फैन जो हूँ |

    सादर

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  3. आखिरी मिसरा सबसे सुन्दर लगा |
    सादर

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