और जहां से बेशक तोड़ के रखते हैं
आंसू बीते कल से जोड़ के रखते हैं
तुम भी इस क़िस्से का हिस्सा हो जाना
हम कुछ सतरें खाली छोड़ के रखते हैं
मंजिल की चाहत तो ख़ाम-ख़याली है
सफ़र के आशिक़ छाले फोड़ के रखते हैं
आज के दिन तुम बिलकुल याद नहीं आये
डायरी का ये पन्ना मोड़ के रखते हैं
साथ गुज़ारा वक़्त बिछाकर रखा है
तेरी सारी यादें ओढ़ के रखते हैं
आंसू बीते कल से जोड़ के रखते हैं
तुम भी इस क़िस्से का हिस्सा हो जाना
हम कुछ सतरें खाली छोड़ के रखते हैं
मंजिल की चाहत तो ख़ाम-ख़याली है
सफ़र के आशिक़ छाले फोड़ के रखते हैं
आज के दिन तुम बिलकुल याद नहीं आये
डायरी का ये पन्ना मोड़ के रखते हैं
साथ गुज़ारा वक़्त बिछाकर रखा है
तेरी सारी यादें ओढ़ के रखते हैं
बेहतरीन गज़ल...
ReplyDeleteऔर जहां से बेशक तोड़ के रखते हैं
आंसू बीते कल से जोड़ के रखते हैं ,,,वाह!!!!
आज के दिन तुम बिलकुल याद नहीं आये
डायरी का ये पन्ना मोड़ के रखते हैं
-इस पर हमने भी लिखा है कुछ...
http://allexpression.blogspot.in/2012/09/blog-post_10.html
आपके शब्द ही आपकी खासियत हैं , जो किसी को भी आसानी से समझ में आ जाये |
ReplyDeleteबिना कहीं भटके हुए बहुत सीधे तरीके से अपनी बात कहना |
लाजवाब |
और जहां से बेशक तोड़ के रखते हैं
ReplyDeleteआंसू बीते कल से जोड़ के रखते हैं
bahut sundar ...aur bilkul sach ...!!
shubhkamnayen ..!!
आज के दिन तुम बिलकुल याद नहीं आये
ReplyDeleteडायरी का ये पन्ना मोड़ के रखते हैं
बहुत सुंदर लिखा है ...
शुभकामनायें ...
Bahut bahut dhanyavaad!!
DeleteYour way of telling all in this piece of writing is truly good, all can without difficulty be aware of it, Thanks a lot.
ReplyDeleteFeel free to visit my website ; webpage