ठीक है इलज़ाम जो उसपे धरा है
दौर है ये खोट का और वो खरा है
यूँ न समझो एक तुम पर ही टिकी है
ज़िन्दगी को मौत का भी आसरा है
हमको ये अफ़सोस मरहम कर न पाए
ज़ख्म को ये नाज़ के अबतक हरा है
उसने पूरे दाम देकर ली रिहाई
पहले तडपा, छटपटाया फिर मरा है
थम गयी उल्फत की बारिश हाँ मगर अब
दिल-गली में याद का पानी भरा है
दौर है ये खोट का और वो खरा है
यूँ न समझो एक तुम पर ही टिकी है
ज़िन्दगी को मौत का भी आसरा है
हमको ये अफ़सोस मरहम कर न पाए
ज़ख्म को ये नाज़ के अबतक हरा है
उसने पूरे दाम देकर ली रिहाई
पहले तडपा, छटपटाया फिर मरा है
थम गयी उल्फत की बारिश हाँ मगर अब
दिल-गली में याद का पानी भरा है
आपकी कुछ कवितायेँ पढ़ीं , वाकई बहुत सुन्दर हैं | सीधे सरल शब्द और सटीक बात |
ReplyDeleteशायद आपसे सीखने को बहुत कुछ है |
Mera shayar hona shayad veham hai mere yaaron kaa.. Main to bas unhi ki baatein unhein sunayaa karta hoon!!
Deleteबहुत सही कहा आपने , कवि तो हम सब के अंदर होता है लेकिन असली कला तो उचित और सटीक शब्दों का चयन करना होता है |
Deleteऔर इस कला में आप माहिर हैं |
वाह...
ReplyDeleteबेहतरीन शायरी.....
लाजवाब शेर कहे हैं..
अनु
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें प्लीस...पाठकों को सुविधा होगी.