सच यहाँ बीती कहानी हो गया
झूठ सबका यार-ए-जानी हो गया
हुस्न तेरा शाम की चादर तले
चम्पई से धानी- धानी हो गया
हम जहाँ मिलते थे जानां वो शजर
गुमशुदा कोई निशानी हो गया
मेरा बेटा फ़र्ज़ के सहराओं में
हू-ब-हू मेरी जवानी हो गया
एक आंसू वक़्त की देहलीज़ पर
जैसे दरिया की रवानी हो गया
मैं जो प्यासा लौट आया हूँ विशाल
इक समंदर पानी पानी हो गया
Sangat mein teri hum bhi khudparast*** ho gaye
ReplyDeleteKhud humne apna naam likha pehli baar hai