रात तो ढल चुकी है हाँ लेकिन
सुबह होने में देर हो शायद
जागते हैं अभी क़लम-कागज़
मुझको सोने में देर हो शायद
कुछ ख़यालों में है झिझक बाक़ी
शेर होने में देर हो शायद
और कितने ही काम बाक़ी हैं
ज़ख्म धोने में देर हो शायद
वो दिलासा सभी को देता है
उसको रोने में देर हो शायद
मुझको दुनिया से भी निभानी है
तेरा होने में देर हो शायद
सुबह होने में देर हो शायद
जागते हैं अभी क़लम-कागज़
मुझको सोने में देर हो शायद
कुछ ख़यालों में है झिझक बाक़ी
शेर होने में देर हो शायद
और कितने ही काम बाक़ी हैं
ज़ख्म धोने में देर हो शायद
वो दिलासा सभी को देता है
उसको रोने में देर हो शायद
मुझको दुनिया से भी निभानी है
तेरा होने में देर हो शायद
Aadarniya Dr. Sahab
ReplyDeleteAapke hausla badhane ke liye bohot dhanyawad.
Vishal
वो दिलासा सभी को देता है
ReplyDeleteउसको रोने में देर हो शायद.
बहुत खूब.