हमें, ऐसा नहीं हसरत नहीं है
मगर इस दौर को फुर्सत नहीं है
जो देता है मुझे कम है; तो शायद
ख़ुदा के हाथ में बरकत नहीं है
ये सच है दिल नहीं मिलते हमारे
हमें तुमसे मगर नफरत नहीं है
तुम्हारे डर से घर छोड़ा किसी ने
तो फिर ये ज़ुल्म है हिजरत नहीं है
मगर इस दौर को फुर्सत नहीं है
जो देता है मुझे कम है; तो शायद
ख़ुदा के हाथ में बरकत नहीं है
ये सच है दिल नहीं मिलते हमारे
हमें तुमसे मगर नफरत नहीं है
तुम्हारे डर से घर छोड़ा किसी ने
तो फिर ये ज़ुल्म है हिजरत नहीं है
बहुत अच्छा लिखा है भैया
ReplyDeletespecially 'हमें तुमसे मगर नफरत नहीं है' वाला मसला ....
सादर