मुझे तुम और मुश्किल में न डालो
मेरे चेहरे से ये नज़रें हटा लो
अगर ज़ालिम का कुछ न कर सको तो
कम-अज़-कम आसमां सर पे उठा लो
ख़बर में तुम नहीं कितने दिनों से
दबा-कुचला कोई मुदआ उछालो
चलो हम पैर रखते हैं दोबारा
चलो जल्दी से तुम आँखें बिछा लो
ये बरसों की मुहब्बत का सिला हैं
लो! मेरी आँख के आंसू संभालो
मेरे चेहरे से ये नज़रें हटा लो
अगर ज़ालिम का कुछ न कर सको तो
कम-अज़-कम आसमां सर पे उठा लो
ख़बर में तुम नहीं कितने दिनों से
दबा-कुचला कोई मुदआ उछालो
चलो हम पैर रखते हैं दोबारा
चलो जल्दी से तुम आँखें बिछा लो
ये बरसों की मुहब्बत का सिला हैं
लो! मेरी आँख के आंसू संभालो
चलो हम पैर रखते हैं दोबारा
ReplyDeleteचलो जल्दी से तुम आँखें बिछा लो
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ये भाव पहली बार पढ़ने को मिला , बहुत ही सुन्दर , ये लाइन तो विशेष |
सादर