Monday, December 17, 2012


मेरा जो ये ख़्वाब है, छीनो!
आँखों को तेज़ाब है, छीनो
जो सीधे से ना मिलता हो
सीधा एक हिसाब है, छीनो
सांस गले की फांस हुई है
अब मेरी फ़रियाद है, छीनों
पुरखों की सब दौलत- शोहरत
मुझको एक अज़ाब है छीनो
मांगे से ये कब मिलती है
सरकारी इमदाद है, छीनो

1 comment:

  1. मांगे से ये कब मिलती है
    सरकारी इमदाद है, छीनो |
    बहुत अच्छा |

    सादर

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