इतना न करो ग़म जो वचन टूट रहा है
वैसे भी अब वफ़ा का चलन टूट रहा है
फिर आइयेगा आप कि वो मिल नहीं सकते
आराम की थकन है बदन टूट रहा है
दुनिया मसाइल को जो हल करने चले थे
उनको ख़बर भी है कि वतन टूट रहा है
तुमने तो फूल तोड़ के सूंघा, मसल दिया
इस हादिसे को देख चमन टूट रहा है
उस शोख़ पे मिसरा कोई कहने की हवस में
हम देख न पाये की कहन टूट रहा है
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