और जहां से बेशक तोड़ के रखते हैं
आंसू बीते कल से जोड़ के रखते हैं
तुम भी इस क़िस्से का हिस्सा हो जाना
हम कुछ सतरें खाली छोड़ के रखते हैं
मंजिल की चाहत तो ख़ाम-ख़याली है
सफ़र के आशिक़ छाले फोड़ के रखते हैं
आज के दिन तुम बिलकुल याद नहीं आये
डायरी का ये पन्ना मोड़ के रखते हैं
साथ गुज़ारा वक़्त बिछाकर रखा है
तेरी सारी यादें ओढ़ के रखते हैं
आंसू बीते कल से जोड़ के रखते हैं
तुम भी इस क़िस्से का हिस्सा हो जाना
हम कुछ सतरें खाली छोड़ के रखते हैं
मंजिल की चाहत तो ख़ाम-ख़याली है
सफ़र के आशिक़ छाले फोड़ के रखते हैं
आज के दिन तुम बिलकुल याद नहीं आये
डायरी का ये पन्ना मोड़ के रखते हैं
साथ गुज़ारा वक़्त बिछाकर रखा है
तेरी सारी यादें ओढ़ के रखते हैं