ठीक है इलज़ाम जो उसपे धरा है
दौर है ये खोट का और वो खरा है
यूँ न समझो एक तुम पर ही टिकी है
ज़िन्दगी को मौत का भी आसरा है
हमको ये अफ़सोस मरहम कर न पाए
ज़ख्म को ये नाज़ के अबतक हरा है
उसने पूरे दाम देकर ली रिहाई
पहले तडपा, छटपटाया फिर मरा है
थम गयी उल्फत की बारिश हाँ मगर अब
दिल-गली में याद का पानी भरा है
दौर है ये खोट का और वो खरा है
यूँ न समझो एक तुम पर ही टिकी है
ज़िन्दगी को मौत का भी आसरा है
हमको ये अफ़सोस मरहम कर न पाए
ज़ख्म को ये नाज़ के अबतक हरा है
उसने पूरे दाम देकर ली रिहाई
पहले तडपा, छटपटाया फिर मरा है
थम गयी उल्फत की बारिश हाँ मगर अब
दिल-गली में याद का पानी भरा है