Tuesday, February 28, 2012

चारदिवारी पर तो हमने कांच बिछाकर रखा है

सोच रहा हूँ काग़ा आखिर क्यों संदेसा लाएगा
चारदिवारी पर तो हमने कांच बिछाकर रखा है

देखें उसके चाहने वाले रीस कहाँ तक करते हैं
हमने छत पे उसकी ख़ातिर चाँद मंगाकर रखा है

सोहबत की तासीर से शायद क़ुदरत भी वाक़िफ ही थी
उसने दिल को ज़ेहन से थोड़ा दूर बिठाकर रखा है

इक दिन मैं अपने बेटे के नाम से जाना जाऊंगा
बाप ने दिल ही दिल में ये अरमान सजाकर रखा है

आखिर तक वो ना माना तो दिल का ज़ख्म दिखा दूंगा
आड़े वक़्त को तरकश में ये तीर छुपाकर रखा है

Monday, February 13, 2012

वो ख़्वाबों में भेस बदल कर आया है

उसने मुझको ऐसे भी अज़माया है
वो ख़्वाबों में भेस बदल कर आया है

मां डरती है बेटे जबसे मर्द हुए
मंझले ने कल उसपर हाथ उठाया है

बाप की गर्दन कंधे निग़ल गए सुनकर
बेटे ने पटवारी घर बुलवाया है

जाने क्या होता था  दही में, शक्कर में
कितनी बार तो मुझको पास कराया है

नीले रंग का कुर्ता सबके पास है पर
उसके वाला आसमान से आया है

Wednesday, February 1, 2012

Chaand Sitaare Milkar Use Sataate Honge

Chaand sitaare milkar use sataate honge
Usko mere naam se phool chidhaate honge
 
Aankhon ki wo jheelein bhar bhar aati hongi
Usko mere qisse log sunaate honge
 
Gusse pe na qaboo rehta hoga jab jab
Mere sher ko apna log bataate honge
 
Resham ke sirhaane bistar se girne par
Usko meri baahein yaad dilaate honge
 
Unke dil kaa bojha kuchh kam hota hoga
Wo jab apni jhooti qasmein khaate honge