हर रोज़ मैं अपनी थोड़ी थोड़ी जान लेता हूँ
शाम तलक गर बचूं तो जिंदा हूँ मान लेता हूँ!!
बिखरा हुआ हूँ यूँ तो जानां अपनी ही मिटी में
बस तुमको देखा तो सीना तान लेता हूँ
तेरी ही तो ज़िद है मेरी याद में रहना है
वरना बता कब कोई मैं एहसान लेता हूँ !!!!