Tuesday, July 20, 2010

रोज़ाना

हर रोज़ मैं अपनी थोड़ी थोड़ी जान लेता हूँ
शाम तलक गर बचूं तो जिंदा हूँ मान लेता हूँ!!

बिखरा हुआ हूँ यूँ तो जानां अपनी ही मिटी में
बस तुमको देखा तो सीना तान लेता हूँ

 तेरी ही तो  ज़िद है  मेरी याद  में रहना है
वरना बता कब कोई मैं एहसान लेता हूँ !!!!

Friday, July 16, 2010

पुरानी सी बातें

चलो पुरानी सी बातें करें
वह सायानी सी बातें करें

बूढी हो चली तेरी यादों की
जवानी की बातें करें

मुमकिन है सबको रास ना आयें
चलो मनमानी सी बातें करें

ये जानी पहचानी बहुत कर लीं
चलो अनजानी सी बातें करें

हकीकत का ज़ुल्म क्या सहना
किस्से कहानी की बातें करें

अक्ल-ओ-फ़िक्र से हुआ क्या हासिल
चलो बेमानी सी बातें करें