Monday, June 28, 2010

सोचता हूँ

तू मुझे मिलता तो क्या इतनी ख़ुशी भी होती
कि तुझे खोने का ग़म है के बस जाता ही नहीं
सभी हँसते हैं मेरे साथ बस येही है वजह
अपने हालात किसी पे  मैं जताता ही नहीं

चाहे कमज़र्फ हूँ , बेबस  हूँ तेरा आशिक हूँ
वरना हर रोज़ तेरे दर पे मैं आता ही नहीं

क्यों सभी तेरे दीवाने हुए जाते हैं बता ??
किस्से चाहत की मेरी क्या तू सुनाता ही नहीं!!
मेरा अरमान है दिल खोल के रो लूं लेकिन
एक अरसे से मुझे कोई सताता ही नहीं!!!

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