कहें आसां ज़बां में कुछ बड़ा अरमान होता है
मगर आसान कुछ कहना कहाँ आसान होता है
तुम्हारे साथ गुज़रे पल गुहर हो जाते हैं जानां
चले आओ तुम्हारे बिन बड़ा नुकसान होता है
बलन्दी की तरफ़ जाते हुए मजमे हैं यारों के
उतरते वक़्त रस्ता बड़ा सुनसान होता है
गुज़र जाते हैं बरसों इक भली आदत बनाने में
बुरी आदत लगा लेना बड़ा आसान होता है
ये ख़िदमत और ख़ुशामद चाहता; नख़रे दिखाता सा
ख़याल-ए-यार ऐसा है की ज्यों मेहमान होता है
मगर आसान कुछ कहना कहाँ आसान होता है
तुम्हारे साथ गुज़रे पल गुहर हो जाते हैं जानां
चले आओ तुम्हारे बिन बड़ा नुकसान होता है
बलन्दी की तरफ़ जाते हुए मजमे हैं यारों के
उतरते वक़्त रस्ता बड़ा सुनसान होता है
गुज़र जाते हैं बरसों इक भली आदत बनाने में
बुरी आदत लगा लेना बड़ा आसान होता है
ये ख़िदमत और ख़ुशामद चाहता; नख़रे दिखाता सा
ख़याल-ए-यार ऐसा है की ज्यों मेहमान होता है