उसने माँगा है इक वचन फिर से
हम भी रख लेंगे उसका मन फिर से
शुक्र मानें कि आप जुगनू हैं
लग गया चाँद ग्रहन फिर से
कोई जाकर ख़िज़ाँ बुला लाओ
खिल के तैयार है चमन फिर से
मेरी ग़लती पे उसकी ख़ामोशी
रख गई दिल पे इक वज़न फिर से
ज़ेहन-ओ-दिल फिर से लड़ पड़े मेरे
सख्त मुश्किल में है बदन फिर से
उसका भी मन है मान जाने का
हम भी कर कर लेते हैं जतन फिर से
फिर मुहाजिर कहा गया हमको
मिलके रोयेंगे हम-वतन फिर से
हम भी रख लेंगे उसका मन फिर से
शुक्र मानें कि आप जुगनू हैं
लग गया चाँद ग्रहन फिर से
कोई जाकर ख़िज़ाँ बुला लाओ
खिल के तैयार है चमन फिर से
मेरी ग़लती पे उसकी ख़ामोशी
रख गई दिल पे इक वज़न फिर से
ज़ेहन-ओ-दिल फिर से लड़ पड़े मेरे
सख्त मुश्किल में है बदन फिर से
उसका भी मन है मान जाने का
हम भी कर कर लेते हैं जतन फिर से
फिर मुहाजिर कहा गया हमको
मिलके रोयेंगे हम-वतन फिर से