Aabshaar
Everybody is a poet, It's just that a few can find words rhyming to their feelings...
Monday, February 24, 2014
हिज्र कि रुत गुलाब की जाए
आज क्यों ना शराब पी जाए
हमने सोचा है उसके वादे पे
ज़िंदगानी गुज़ार दी जाए
हो चला वक़्त उसके आने का
शक़्ल-ओ-सूरत संवार ली जाए
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