है दौर जवानी का ऐसा, दिन- रात से ख़ुशबू आती है
हो जाए इसमें इश्क भी तो , हर बात से ख़ुशबू आती है
मैं उससे मिला हूँ जिस दिन से, एहबाब ये कहते हैं मेरी
इस बात से ख़ुशबू आती है, उस बात से ख़ुशबू आती है
देखा कंक्रीट को भीगते जो, बादल ने कहा मायूसी से
मिट्टी के मकां पे गिरती हुई, बरसात से ख़ुशबू आती है
वो फूल जो दफन किताबों में, वो ख़त जो सहेली लाती थी
नाकाम मुहब्बत की इक-इक, सौगात से ख़ुशबू आती है!!
हो जाए इसमें इश्क भी तो , हर बात से ख़ुशबू आती है
मैं उससे मिला हूँ जिस दिन से, एहबाब ये कहते हैं मेरी
इस बात से ख़ुशबू आती है, उस बात से ख़ुशबू आती है
देखा कंक्रीट को भीगते जो, बादल ने कहा मायूसी से
मिट्टी के मकां पे गिरती हुई, बरसात से ख़ुशबू आती है
वो फूल जो दफन किताबों में, वो ख़त जो सहेली लाती थी
नाकाम मुहब्बत की इक-इक, सौगात से ख़ुशबू आती है!!