उम्र न यूँ बेकार करेंगे
हम कल ही इज़हार करेंगे
उनके आने तक हम उनकी
तस्वीरों से प्यार करेंगे
चार किताबें पढ़कर हम भी
मज़हब का व्यापार करेंगे
हम से हर दम जीतने वाले
अबके हम भी वार करेंगे
मुफ़लिस हैं और बेकारी है
मज़हब की बेगार करेंगे
मल्हा, कश्ती छोडके हम तो
तैर के दरिया पार करेंगे
हम कल ही इज़हार करेंगे
उनके आने तक हम उनकी
तस्वीरों से प्यार करेंगे
चार किताबें पढ़कर हम भी
मज़हब का व्यापार करेंगे
हम से हर दम जीतने वाले
अबके हम भी वार करेंगे
मुफ़लिस हैं और बेकारी है
मज़हब की बेगार करेंगे
मल्हा, कश्ती छोडके हम तो
तैर के दरिया पार करेंगे