वो गर बनना संवरना जानता है
मेरा दिल आह भरना जानता है
अँधेरे को लगे एक सब एक जैसा
उजाला फ़र्क़ करना जानता है
वही जिंदा है इस झूठे जहां में
जो सच्चाई पे मरना जानता है
है फितरत वक़्त की मरहम के जैसी
यह गहरे ज़ख्म भरना जानता है
सयाना हो गया काजल की अब वो
संवरना कब बिखरना जानता है
मेरा दिल आह भरना जानता है
अँधेरे को लगे एक सब एक जैसा
उजाला फ़र्क़ करना जानता है
वही जिंदा है इस झूठे जहां में
जो सच्चाई पे मरना जानता है
है फितरत वक़्त की मरहम के जैसी
यह गहरे ज़ख्म भरना जानता है
सयाना हो गया काजल की अब वो
संवरना कब बिखरना जानता है